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सुनने वालों को ‘हूकां’ मार पुकारता है ‘नौटकी साला’ का संगीत

प्लेबैक वाणी -41 - संगीत समीक्षा - नौटंकी साला



सीमित संसाधनों का इस्तेमाल कर कम बजट की फिल्मों का चलन इन दिनों बॉलीवुड में जोरों पर है. इन फिल्मों में अक्सर अनोखी कहानियाँ के तजुर्बे होते हैं और अगर इन फिल्मों में संगीत जोरदार हो तो मज़ा कई गुना बढ़ जाता है. आज हम एक ऐसी ही फिल्म के संगीत की चर्चा करेंगे जिसमें सभी कलाकार अपेक्षाकृत नए या कम चर्चित हैं और जहाँ गीत संगीत का जिम्मा भी किसी एक बड़े संगीतकार गीतकार ने नहीं बल्कि नए और उभरते हुए कलाकारों की पूरी टीम ने मिलकर संभाला है. फिल्म है ‘नौटंकी साला’ जिसके संगीत की चर्चा आज हम करेंगें ताजा सुर ताल के इस साप्ताहिक स्तंभ में.

बेहद प्रतिभाशाली फलक शबीर ने अपने ही लिखे और स्वरबद्ध गीत को अपनी आवाज़ दी है मेरा मन गीत में. हालाँकि ये उनका कोई नया गीत नहीं है, उनकी एक पुरानी प्रसिद्ध एल्बम का मशहूर गीत था ये, पर अधिकतर भारतीय श्रोताओं के ये काफी हद तक अनसुना ही है, यही कारण है कि ये गीत तेज़ी से इन दिनों लोकप्रिय हुआ जा रहा है. इस सरल मधुर रोमांटिक गीत में युवा धडकनों को धड़काने का पर्याप्त माद्दा है.

अपने पहले ही गीत पानी द रंग से लोकप्रियता की ऊंचाईयों को छूने वाले आयुष्मान खुराना का दूसरा गीत भी उनके पहले ही गीत की तरह दीवाना बना देने वाला है. साड्डी गली आजा में उनके साथ आवाज मिलाई है उभरती हुई गायिका नीति मोहन ने. शब्द बेहद सरल सीधे मन में उतर जाने वाले हैं, विशेषकर हूकां शब्द का चयन और उच्चारण बेहद प्रभावशाली बन पड़ा है. धुन मधुर होने के साथ साथ बार बार सुनने पर भी मन को आकर्षित करने वाली है. यक़ीनन ये गीत वर्ष २०१३ के श्रेष्ठ गीतों में शुमार होने वाला है. आयुष्मान की आवाज़ में एक सादगी है और सच्चाई भी जो स्वाभाविक ही श्रोताओं को बेहद भा जाती है.

आयुष्मान की ही आवाज़ में तू ही तू भी उतना ही लाजवाब है पर ये सड्डी गली जैसा सर चढ़ने वाला तो बिल्कुल नहीं है. कौसर मुनीर के शब्द और मिकी मेक्लेरी का संगीत मनभावन है.

गीत सागर का गाया ड्रामेबाज फिल्म के थीम के अनुरूप है – मजेदार, और चूँकि आज कल के चलन के अनुरूप एक सूफी रोक् गीत जरूरी है तो राहत साहब की आवाज़ में सपना मेरा टूटा भी मौजूद है. गीत दर्द भरा है. इसके अलावा फिल्म में सो गया ये जहाँ (मूल तेज़ाब फिल्म से, संगीत -लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गीत – जावेद अख्तर) और धक् धक् करने लगा (मूल फिल्म – बेटा, संगीत – आनंद मिलिंद, गीत – समीर) का रीमिक्स संस्करण भी मौजूद है, जो शायद उस पीढ़ी को पसंद आ सकते हैं जिन्होंने इनके मूल संस्करण नहीं सुने हैं.

वैसे एल्बम में एक और गीत है जिसे एक नगीना कहा जा सकता है, ये गीत भी एक अभिनेत्री से गायिका बनी सबा आज़ाद की अनूठी आवाज़ में है और यही आवाज़ इस गीत की सबसे बड़ी विशेषता भी है. दिल की तो लग गयी को मिकी ने सुन्दर संगीत संयोजन से संवारा है और कौसर के शब्द भी अनूठे हैं. नयेपन से सराबोर ये गीत एल्बम के सबसे बेहतरीन गीतों में से एक है.

एल्बम में सभी खास गीतों के कई कई संस्करण मौजूद हैं जिनकी जरुरत क्यों है, समझ से बाहर है. साड्डी गली, दिल की तो लग गयी, तू ही तू और मेरा मन जैसे ताजगी से भरे गीतों ने एल्बम को औसत से ऊपर ही रखा है रेडियो प्लेबैक इण्डिया दे रहा है इसे ४.१ की रेटिंग ५ में से.                  

संगीत समीक्षा - सजीव सारथी
आवाज़ - अमित तिवारी


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संगीत समीक्षा - नौटंकी साला


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